परछाइयाँ धुप में
तेज़ हवा के झोंको में
लू के थपेड़ों के साथ
धुल बनके उड़ती हैं
कांपने लगती हैं तपिस में
प्यारे लम्हों की भी आदत है
परछाइयों सी
बेवफा हैं ये
ना तपिस में साथ
ना बगियाँ की छांव में
सुकून में साथ
ये ना गम की हमनवा है
ना ख़ुशी बांटे वो दिलरुबा
चलते-चलते मिले जो तुमसे
तो हाथ मिलाना
कोशिश करना
हो सके तो गले लगाना
ये कह ज़रूर देना
तेरा नाम परछाई किसने रखा
तू तो बेवफा है!
waah ........bahut hi sundar bhav.
जवाब देंहटाएंवाह जी क्या बात है मनीष जी ...बहुत अच्छे
जवाब देंहटाएंशुक्रिया वंदना जी,अजय जी
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