इस कुनबे में ना जाने कितनी नश्ल के लोग रहते हैं!
तुम मिलो तो हैं तुम्हारे भाई!
मैं मिलूं तो मेरे बन जायेंगे!
सरको बस थोड़ी दूर गर सामने से,
प्यारे,गालियों की इनायत बरसाएंगे!
अब क्या कहें इनके बारे में,कहते हुए थक जायेंगे!
रहना सावधान,वरना बाबू,
आगे नहीं,पीछे से मुक्का लहरायेंगे!
समझो ना,इस कुनबे में कितनी नश्ल के लोग रहते हैं!
एक बेचारे वो भी हैं,इसी में,
सामने की तारीफ पर ललचायेंगे!
ना समझ खेल-खिलाडी की इन बातों को,
मुफ्त में मारे जायेंगे,
अब हम ही क्यूँ समझाएं,
समझे नहीं तो खुद ही फंस जायेंगे!
कम से कम अपने लिए ही सही,होशियार तो होना पड़ेगा!
क्यूंकि इन्ही दड़बों में उंच-नीच तमाम प्रयोग होते है!
समल्हना प्यारे,तुम्हारे बीच ही नश्ल-नश्ल के लोग रहते हैं!!!!!!!!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें