देवदार के पार
मंगलवार, 20 जुलाई 2010
तुम्हारे जाने के बाद!
अब कौन आयेगा इस वीराने में
हवाएं सिसकती है,
टीस बिस्तर,तकिये,पलंग से
लेकर खिड़की तक झांकती है
धुंए सी घुली तन्हाई
जाने दर्द है
या तुम्हारी यादें
घुले-घुले कुछ बीते दिन
आज तक इस इस कमरे में
तुम्हारी महक बिखेरते है
तुम्हारे जाने के बाद!
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