देवदार के पार
बुधवार, 15 दिसंबर 2010
एक सवाल
गणित सी उलझी ज़िन्दगी
किसी पाठ से कम कहाँ
होशियार बचों को मौके है
पढ़ने का पर उनका क्या
जो पढ़ते नहीं समझते हैं?
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