क्या है इस बेचैनी की वजह,
ये तो बिना वजह की बेचैनी है,
खामखाह कोई वजह ढूंढ़,
वजह को बदनाम क्यों करूँ?
ये मेरी अपनी ही कोई हमनवा है,
मेरी हमनवा बेचैनी!
वरना, हर कुछ तो है मेरे पास,
किसी फिल्मी डयलोग की तरह,
दौलत है,शौहरत है,हुश्न के मेले में भी शरीक होते हैं गाहे-बगाहे!
फिर काहे की बेचैनी,
मैं ही तुझे सताता हूँ,
बेवजह बेचैनी कह!
ना समझा तुझे आसानी से!
देर से ही सही,पर कोसते-कोसते तुझे,
तेरी ही छानबीन में लगा तो तुझे ही सबसे करीब पाया!
तेरी पोरों की आवाज़ भी सुनी जो कह रही थीं मासूम में तुम्हारे साथ रहूंगी,
उम्र भर!
Very nice i like ur style and thinking... keep it up write more and express urself with words..All the best..
जवाब देंहटाएंgeets