tag:blogger.com,1999:blog-4348821597693840513.post8557210691072879889..comments2023-05-18T14:58:59.032+05:30Comments on देवदार के पार: बिहारी से दिल्लीसेटवा तकमनीष राज मासूमhttp://www.blogger.com/profile/16303754201394403945noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-4348821597693840513.post-6128184197117454202009-11-03T13:24:27.493+05:302009-11-03T13:24:27.493+05:30एक बात और... वर्ड वैरीफिकेशन हटा लीजिय़े तो हमें टि...एक बात और... वर्ड वैरीफिकेशन हटा लीजिय़े तो हमें टिप्पणियां भेजने में आसानी रहेगी...। <br />शुभकामनाएं.....!!!Jayant chaddhahttps://www.blogger.com/profile/07623542811927039257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4348821597693840513.post-27142903156765243382009-11-03T13:19:52.322+05:302009-11-03T13:19:52.322+05:30ठीक कह रहे हो मनीष... राज जैसे दूसरों को देख बिहार...ठीक कह रहे हो मनीष... राज जैसे दूसरों को देख बिहार के लोग,भी शायद करनी में उनसे भी आगे निकलने की होड़ पाले बैठे हैं.. अपने भाईयों से भी दिल्ली सेट होने की दुश्मनी निकालने की राह.... लानत है...!!!!!Jayant chaddhahttps://www.blogger.com/profile/07623542811927039257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4348821597693840513.post-66515478892886162972009-11-01T01:53:56.133+05:302009-11-01T01:53:56.133+05:30हां ये सच है।
लौटना भी कठिन है, चल चुका युग एक जी...हां ये सच है। <br />लौटना भी कठिन है, चल चुका युग एक जीवन<br />अब शब्द ही घर है, घर ही जाल है, जाल ही तुम हो<br />अपने में ही उलझो, अपने में ही सुलझो<br />अपने में ही गुम हो। .........Pawanhttps://www.blogger.com/profile/03106657754438302575noreply@blogger.com