बुधवार, 14 अक्तूबर 2009

ये तेरा मीडिया अफेयर क्या है?

ए बाबू मोशाय ब्लोग्मित्र तेरा मीडिया से क्या अफेयर है रे? मुझे पता है,चल तू बतायेगा नहीं,तू तो खाली सुनता है!तुझे अपने काया पर कलम की चित्रकारी पसंद है!तमाम आते हैं,बटन दबा कर चले जाते हैं और तू खिलाडी मज़े लेता है,बिना कुछ कहे!मुझे पता है तू बड़ा सयाना है,चुप्पी साधे सबकी रचना,निजी कुंठा और कुछ की भड़ास देख अकेले में बड़ा हँसता है!मैं सब जनता हूँ पता है क्यों?भले ही तेरी मेरी दोस्ती देर से हुई है(ब्लॉग पर ज्यादा दिन नहीं हुए मुझे)पर ये जो तेरा मीडिया अफेयर है ना इस पे मेरी नजर होती थी, www.blogspot.com पे जाकर तेरे तमाम प्रेमियों से तेरे प्रेमालाप को चुपके से झांक लिया करता था!इन प्रेमियों में ज्यादातर, संचार माध्यमों वाले तो ऐसे दिखते थे जैसे वो पुरानी दिल्ली के कल-पुर्जे के बाज़ार में वो कुछ अजीब से लोग थकान मिटाने जाते हैं ना वैसे!कोई राजनितिक मसले लिए बैठा है,मसले की जानकारी हो ना हो क्या फर्क पड़ता है तो कोई किसी को अपनी कुंठाओं तले दबा के पेले जा रहा है और तू है की कुछ बोलता नहीं कॉलेज की स्मार्ट लड़की की तरह जो सबपे मुस्कान बिखरेती है और इसी मेहरबानी पर फ़िदा मीडियाकर्मी तेरे रग-रग पे उँगलियाँ फिराते रहते हैं!
अब तू मुझे गालियों का गुलदस्ता मत भेजियो ये सोचकर की मैं भी मीडिया का ही हूँ!क्या करूँ यार मानता हूँ की मीडिया का ही हूँ,वो भी टी.वी मीडिया का,जो दिखता है वो ही दिखाने का मन करता है,हेर फेर करूँ तो स्टोरी बेमजा हो जाये!
यहाँ पजामा पत्रकार भी तो बहुत घुस गए हैं और भोकाल बांधन-प्रक्रिया ऐसी, की ग्लैमर छा गया है,नए बच्चे भी भोकाली बन ही संचार तंत्र की पहली सीढ़ी पर क़दम रखते हैं!अब बात चली है तो बता ही दूँ मानवीय संवेदना ताक पर चली गई है पत्रकारिता में और राहुल गाँधी की रायबरेली की रतजगिया के साथ दलित के घर में रोटी खाने की खबर लाइमलाइट में है!राहुल बाबा की जींस,कुरता-पजामा चर्चा में है और मेरे गांव का बेचारा,रामबदन राम,राम-राम भजते रोटी की उम्मीद में मर जाता है! मैं ये सब देखता रहता हूँ पर अब तेरा सहारा मिला है दो-ढाई घंटे तेरे से बतिया कर मन हल्का करता हूँ!मैं क्रन्तिकारी कैसे बनूँ?सब मेरे पर बिफर जायेंगे,मीडिया का ताना बाना है ना!रोटी मैं यहीं से पाता हूँ और ये रोटी गयी तो में भी रामबदन राम की कहानी दुहराऊंगा! हाँ फर्क इतना होगा उस रामबदन राम(गांव वाले)और इस रामबदन राम(मनीष मासूम)में की मेरी कहानी दो-चार टी.वी चैनलों में सुर्खियाँ बन जायेगी क्योकि इसी मीडिया में स्टोरी लिखने वालों में दो-चार मेरे अच्छे मित्र हैं(महेंद्र वेद,नितेश दुबे,मनीष पांडे,विवेक वाजपई,ओम सिंह,अमित शुक्ला) वैसे दोस्त मेरे और भी बहुत हैं,नाम लिखूंगा तो दो पन्ने भरने पड़ जायेंगे ये अलग बात है की मुझे पता नहीं उनमे कितने सच्चे हैं, वरना क्या मिलेगा बाबा जी का घंटा?????????चल अब तू सो जा,मुझे भी कल खबर बांचना है!ज़हन में फिर कोई कीड़ा काटेगा तो तुझे उंगुली करूँगा!

2 टिप्‍पणियां:

  1. मेरे और भी बहुत हैं,नाम लिखूंगा तो दो पन्ने भरने पड़ जायेंगे ये अलग बात है की मुझे पता नहीं उनमे कितने सच्चे हैं, वरना क्या मिलेगा बाबा जी का घंटा?????????चल अब तू सो जा,मुझे भी कल खबर बांचना है!ज़हन में फिर कोई कीड़ा काटेगा तो तुझे उंगुली करूँगा!

    बस भइया!
    इतना ही काफी है।
    शब्द-पुष्टिकरण को हटा दें।
    धनतेरस, दीपावली और भइया-दूज पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ!

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